Sunday, May 5th, 2024 Login Here
उधारी के रुपए के बदले मांगी बाइक, नही दी तो मारी गोली मोदी सरकार की नीतियों से हर वर्ग शक्तिशाली बना नप के कर्मचारी हड़ताल पर, दोनो पर पुलिस ने दर्ज किया प्रकरण कांग्रेस प्रत्याशी श्री गुर्जर ने मल्हारगढ विधानसभा में किया जनसंपर्क 3 करोड़ बहनों को लखपति दीदी बनाने की गांरटी दी प्रधानमंत्री मोदी ने डॉक्टर का अपहरण, 20 लाख फिरौती मांगी, सीबीएन जवान सहित तीन आरोपी गिरफ्तार गांधीसागर का आशियाना भाने लगा गिद्दों को, बड़ी संख्या आईपीएल क्रिकेट सट्टे में फरार आरोपी पायलट गिरफ्तार पिकअप में तरबूज के नीचे 11 बैग में भरकर रखा 159 किलो डोडाचूरा जब्त, एक गिरफ्तार भाजपा की मोदी सरकार में सडकों के आधुनिकरण ने गांवो की तस्वीर बदल दी 500 वर्षो के संघर्ष के बाद भगवान राम को विराजित किया मोदी सरकार नें लोकतंत्र का आकाशदीप से जगमगाया मंदसौर शहर कार से 120 किलो डोडाचूरा जप्त, आरोपी गिरफ्तार कार से डेढ किलों अफीम के साथ पंजाबी गिरफ्तार गोली चलने के 24 घंटे बाद भी नहीं लगा हमलावरों का पता

          (ब्रजेश जोशी)

मंदसौर। इस शहर की नियति यह हो गई है कि जन सुविधा के नाम पर जो भी बड़ी सौगातें मिली वे निरर्थक ही सिद्ध हुई है। पहले हम बात करते हैं चम्बल के पानी की...एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील इसी चम्बल नदी पर मंदसौर जिले की सरजमी
पर गांधी सागर बांध के रूप में  विद्यमान हैं लेकिन इस अथाह जलराशि की एक बूंद भी मंदसौर
जिले को नसीब नहीं थी। कितने आश्चर्य की बात कि हमारी ही सरजमी पर चम्बल का पानी हमें मुंह चिढ़ाता आगे निकल जाता ओर हम ताकते रह जाते। मप्र व राजस्थान के बीच कोन सा ऐसा समझौता था जिसके चलते मप्र चम्बल के पानी का केवल बिजली  उत्पादन में ही उपयोग में ले सकता है। पेयजल व सिंचाई में राजस्थान इस पानी को वापर सकेगा। 90 के दशक में मुझ सहित उस समय के नई पीढ़ी के हम पत्रकारों में इस बात को लेकर
बड़ी आश्चर्य मिश्रित जिज्ञासा रहती कि हमारी धरती पर चम्बल और हम इसका उपयोग भी नहीं कर सकते। मुझे याद है संभवतः
1996 में तत्कालीन केंद्रीय जल संसाधन मंत्री विद्याचरण शुक्ल( अब स्वर्गीय) मंदसौर प्रवास पर आए थे तो सर्किट हाऊस पर पत्रकार वार्ता में मैने इस विषय में प्रश्न किया था तब शुक्लजी ने अधिकारियों की तरफ देखा तो दोनों राज्यों के उस समझोते के बारे में बता दिया गया। शुक्ल जी ने पत्रकारों से कहा ष्सुन लिया आपनेष्। बरसों तक यही सुनते आ रहे थे कि 2015 में तब के जिले के कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह ने चम्बल का पानी मंदसौर लाने की योजना बना डाली। समझौता कहां रह गया पता नहीं।  56 करोड़ की यह योजना उनके स्थानांतरण के बाद खटाई में पड़ती दिखी पर मौजूदा कलेक्टर मनोज पुष्प ने इसमें रुचि ले कर योजना को मूर्त रूप दे दिया। यह सोच कर सब खुश हो गए कि अब तो जल समस्या समाप्त ही समझो भरपूर पानी मिलेगा। दोनो वक्त नल चलेंगे। कोई कमी नहीं रहेगी। खुश होना लाजमी भी था क्योंकि यही सब सब्जबाग दिखाए गए थे। कहने को 2 माह पहले से चम्बल शिवना तक आ तो गई पर 53 किमी लम्बी पाईप लाइन की जगह जगह क्षति ओर लिकेज उस पर विद्युत संरचना जिस पर सब आधारित है वह भी ध्वस्त इन वजहों से पानी सप्ताह में एक या दो बार आ जाता है बाकी दिनों में शिवना के रामघाट बेरेज पर लगा पाईप सूखा ही नजर आता है। फिलहाल तक तो मंदसौर को इसका कोई लाभ नहीं मिलता दिख रहा है। यह बहुत बड़ी सौगात अर्थ हीन साबित हो रही है। ओर पिछले साल की कम बारिश दोनो बांध खाली व मानसून की बेरुखी देख नपा 2 दिन छोड़ कर नलों मे पानी देने का सोच रही है।
  ऐसा ही काला भाटा बांध के लिए भी कहा गया था कि 50 सालों तक मंदसौर में पानी की कोई कमी नहीं आएगी। बांध में इतना पानी संग्रहित रहेगा कि जल संकट खत्म। लेकिन काला भाटा का क्या हश्र हुआ सब जानते हैं। यह योजना भी नपा की भ्रष्ट व अकर्मण्य कार्य शैली के कारण फेल हो गई इसका भी कोई लाभ नहीं मिला। काला भाटा बांध जिसे अटल सागर नाम दिया गया किन्तु इसकी भी कोई सार्थकता शहर को नहीं मिली।
तीसरे बिंदू पर नजर जाती है तो दिखता है लक्कड़पीठा ओवर ब्रीज वीर सावरकर सेतु  इसे बने दस साल से अधिक हो गए।जिस सुविधा को दृष्टिगत रख यह ब्रीज बनाया गया वह आज तक पूरी होती नहीं दिखी सदर बाजार के ट्राफिक के लोड को डायवर्ड करने यह बनाया था किंतु सदर बाजार के हालात जस के तस हैं। ट्राफिक का कोई लोड कम नहीं हुआ बल्कि ओर बड़ ही गया है। इस बीज का एक्सटेंशन भी वाहनों का पार्किंग स्थल बन कर रह गया है। इस सौगात का भी कोई लाभ नहीं मिला। अब बात करते हैं बीपीएल चैराहे की यहां 20 साल पहले दानदाता के सहयोग से इलेक्ट्रानिक ट्रैफिक सिग्नल लगाए गए थे लोगों ने सोचा महानगरों की झलक नजर आएगी मगर चार दिनों की चांदनी फिर अंधेरी रात थोड़े समय ये सिग्नल चले फिर बरसों तक बंद
मीडिया के ध्यानाकर्षण पर कुछ साल पहले चलाए फिर बन्द हो गए अभी तक बन्द है। ये सौगात भी फुस्स। हवाई पट्टी की सौगात मिली पर अभी तक एयर टैक्सी तक नहीं चली। नगर की कुछ सड़कों को उत्कृष्ट सड़क बनाने को चुना गया आज वे सड़कें भी निकृष्ठ हो गईं। 2009 में भगवान पशुपतिनाथ मंदिर के नव निर्माण का 25 करोड़ का मास्टर प्लान बनाया गया था वह भी आधा अधूरा रहा बाद में कई काउंटर प्लान बन गए पर होना जाना कुछ नहीं। बड़े नसीब वाले होते हैं वो नगर जिन्हें नदी नसीब होती है शिवना हमारी दिव्य धरोहर है लेकिन हमें इसकी कोई कद्र नहीं
लाचार जनता बरसों से विलाप कर रही है मगर शिवना पर बस योजनाओं की ही लहरें चलाई जाती है होता कुछ नहीं इतनी बड़ी प्राकृतिक सौगात पर अफसोस कि यह एक नाले का रूप ले कर अपना अस्तित्व खो रही है। तेलिया तालाब को उदयपुर की फतेहसागर झील की तर्ज पर रमणीय बनाने की बातें बरसों से हो रही हे परंतु फिलहाल रमणीय बनना तो दूर यह तालाब पूंजी पशुओं के चंगुल से अपना अस्तित्व बचा ले ये ही बहुत है। कहने को यहां औद्योगिक क्षेत्र है लेकिन ऐसे उद्योग नहीं जो जरूरत मंदों को रोजगार दे सके।
ब्रॉडगेज रेल्वे लाईन आई किंतु पर्याप्त रेल सुविधाएं नहीं। मेडिकल कालेज स्वीकृत हो गया मगर भूमि व भू माफियाओं के चक्रव्यूह में ही फंसा हुआ है।
     बहरहाल सौगातों के नाम पर यह शहर हमेशा ठगा सा ही रह जाता है। ये सौगातें अपनी सार्थकता खोती जा रही है।

मुख्य बिंदू
’ चम्बल का पानी नियमित व पर्याप्त नहीं आ रहा
’ काला भाटा बांध असफल हो गया
’ लक्कड़ पीठा ओवर ब्रीज का कोई लाभ नहीं मिला
’ हवाई पट्टी बनी पर आज तक कोई एयर टैक्सी तक नहीं चली
’ बीपीएल चैराहे पर ट्रैफिक सिग्नल बन्द
’ पशुपतिनाथ मन्दिर नवनिर्माण का मास्टर प्लान फेल
’ नसीब से मिली शिवना नदी  मगर इसकी कदर नहीं
’ तेलिया तालाब रमणीय पर्यटन स्थल सपना रह गया
’ ब्रॉडगेज रेल लाईन आई मगर पर्याप्त रेल गाड़ियां नहीं
’ मेडिकल कालेज स्वीकृत पर स्थान को लेकर विवाद
Chania