Monday, May 6th, 2024 Login Here
सबकुछ करने पर इगोहर्ट नहीं
जिन्हें यह नहीं पता है कि रेल्वे अण्डर ब्रीज के यहां नाला तुझे बनाना है मुझे वो लंबे समय से टीके हुए है और जिन्होंने जनता के काम किए जो सहीं था वह किया, चोरी, लूट की घटनाओं का जल्द से जल्द पर्दाफाश किया, जनता की पहले सुनी लेकिन नेताओं की एक नहीं मानी उन्हें पांच महिने में ही जाना पड़ा। वैसे तो पुलिस कप्तान मन बनाकर ही अऐ थे कि कभी भी जाना पड़ सकता है पद विदाई इतनी जल्दी और इस तरह होगी यह नहीं सोचा होगा! प्रशासन के मुखिया और पुलिस के कप्तान दोनो की अच्छी जुगलबंदी बन गई थी । काम भी अच्छा ही चल रहा था पर जब राजनीतिक गुर्गो पर कार्यवाहीं का असर होेने लगा तब उन्होंने अपने आकाओं की नाक में दम कर दिया और आखिरकार सकारात्मक परिणाम उनके पक्ष में आ ही गया। वैसे भाजपा के शासन काल में सिंगल ट्रांसफर हो जाना यहां के लिए तो बड़ी बात है क्योंकि कई मामलों में भोपाल सूनता ही नहीं हैं.....
दोनो दल मैदान में
पंचायती राज और नगरीय निकाय चुनावों को टलते-टलते लंबा समय हो गया, निर्वाचन हो भी नहीं पाया और अगले वर्ष विधानसभा चुनाव सर पर है। दोनों ही प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस ने अपने-अपने स्तर पर तैयारियां तेज कर दी है, भाजपा ने बूथ स्तर पर सम्पर्क अभियान प्रारम्भ किया तो कांग्रेस ने उसमे जवाब में घर चलों, घर-घर चलों अभियान प्रारम्भ कर दिया । भाजपा कार्यकर्ताओं पर पकड़ करके बूथ को मजबूत कर रहीं है तो कांग्रेस घर-घर जाकर सिधे केन्द्र, राज्य और स्थानीय मुद्दों पर भाजपा सरकारों को घेर रहीं है। कांग्रेस के नेता सिर्फ शहर ही नहीं गांव-गांव में सक्रियता दिखा रहे हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं की घेराबंदी मजबूत कर रहीं है तो कांग्रेस सिधे-सिधे मतदाताओं को पकड़ रहीं है।
शिव सहस़्शिवलिंग और साहब
शिव में प्रगाढ़ आस्था रखने वाले साहब ने जब श्री पशुपतिनाथ मंदिर में पूता पद्धत्ति के नाम पर मनमानी और प्रतिमा की स्थिति देखी तो उनका मन विचलित हो गया और उन्होंने प्रतिमा की सुरक्षा के लिए जनमानस के मन को जाना। धर्मगुरू राजनीतिज्ञ, आम प्रबुद्धजन को साथ लिया और वह ऐतिहासिक निर्णय कर डाला, जिससे गर्भगृह की पवित्रता और प्रतिमा की सुरक्षा दोनो ही काम सफल हो गऐ। एक और बड़ा काम उन्हें सहस्त्र शिवलिंग मंदिर के निर्माण व स्थापना का करना था पर उन्हें यहां से स्थानांतरित होकर जाना पड़ा, ऐसे में वर्तमान में जब उनके मित्र यहां पदस्थ हो तो उनके अधुरे छोड़े गऐ काम को पुरा करने के लिए कहा ऐसे में जिलाधीश ने पूरी रूची से काम किया जो काम धीमा चल रहा था यह अब पूर्णता की और है, शिव साधक के सहस्त्रलिंग मंदिर स्थापना का सपना मित्र साहब ने पूरा कर दिया।
शहर की तो बुझी नहीं.....
एक शहर अभी भी प्यासा है और अब योजना 1700 से अधिक गांवों में चम्बल का पानी पहुंचाने की बात बन रहीं है। चंबल का पानी मंदसौर लाने की योजना सफल है या असफल, पास है या फेल उसके परिणाम अभी तक घोषित हुए नहीं और यह एक और नई योजना आ गई। इस योजना का भी समय तो तय है पर वह भी अन्य योजनाओं की तरह कछुआ चाल ही चलेगी। सारे जवाबदार ठेकेदारों पर इतने मेहरबान क्यों होते है। खैर यह तो अलग बात है पर चंबल का पानी मंदसौर में अभी भी पुरे प्रेशर के साथ नहीं आ रहा है, उसकी पूरी टेस्टिंग नहीं हो रहीं है। जो सपना पानी की उपलब्धता का दिखाया गया वह पानी में बह गया। करोड़ों रूपये पानी में ही बह गऐ और फिर करोड़ों की नई पानी वाली योजना आ गई।
फिर छुट गई छोटी पुलिया
बुजूर्ग हो चूकी शिवना पुलिया का एक बार फिर मेकअप करके रूप निखार दिया गया पर यह टिकाऊ है या काम चलाऊ । इसका परिक्षण तो बारीश में ही होगा। शिवना पुल उम्र पूरी कर चूकी है। समीप बन रहा नया पूल कछुआ चाल से बन रहा है और छोटी पुलिया की कोई सूध नहीं ले रहा है। लगे हाथों बड़ी पुलिया के मेकअप के साथ-साथ छोटी पुलिया पर भी डामरीकरण हो जाना चाहिए था क्योंकि बूरे वक्त में यह पुलिया ही काम आती है। शिवना पूल पर भी लगातार डामरीकरण में परत-दर-परत वजन बढ़ता ही जा रहा है। इसमें तो सारा पुराना माल निकाल कर नए सिरे से पूरा डामरीकरण करना था पूल का लोड़ भी कम हो जाता। अभी जो पूल पर सफर का आनंद है काश वह भूनियाखेडी तक मिल जावे तो जनता का तो कल्याण हो जावें।
जनहितेशी हो तो अमन हो
बात अच्छी और जन हितेषी हो तो वह अनुकरणीय बन जाती है और उस पर अमल हो ऐसे प्रयास होते है। बस यूं ही के एक अंक में गांधी चौराहा जिला चिकित्सालय के सामने होने वाले शौर भरे आयोजनों की परेशानियों का जिक्र किया तो विधायकजी ने उसे संज्ञान म ले महाराणा प्रताप बस स्टेण्ड कास्थान सूझाया। एक अंम में मरीजों को कम कीमत पर पैथालॉजी जांच की सुविधाएं किसी चेरिटी या ट्रस्ट के माध्यम से मिले तो उन्हें काफी आर्थिक राहत मिले । इस पर सिंधी समाज की नई कार्यकारिणी ने अपनी शपथ विधी समारोह में इसके संचालन की घोषणा की, उन्होंने पैथालॉजी जांचों की चेरिटेबल यूनिट के साथ ही सस्ती दवाओं की दूकान खोलने की भी बात कहीं, अच्छों का अच्छा प्रयास अच्छाई के लिए...।
एनकाउण्टर
टपने वालों के चक्कर में साहर का विदाई समारोह हो गया, पांच माही कार्यकाल में कई बड़े मामलें हो गऐ। समय के साथ-साथ मैनेजमेंट हो जाता तो शायद जल्दी नहीं जाना पड़ता पर असूल वाले इन सबकी परवाह कहॉ करते है।
पोस्टमार्टम
मंदसौर वालों की कम्यूनिटी अच्छी है या आंकड़ों की जादूगरी, स्वास्थ्य विभाग ही जाने पर जो भी हो इस बार कोरोना हवा हवाई ही रहा । अब तो सारे प्रतिबंध भी हटा गए। अगर बाहर की लेब में जांच नहीं होती तो शायद अंकों में इतनी बढोतरी भी नहीं होती।
चलते-चलते
अचानक सारे प्रतिबंध हटने से वे परेशान हो गऐ जिन्होंने गाईडलाईन के दायरे में आयोजन किए थे, अब डिजिटल पत्रिका भेज फोन लगाकर आमंत्रित कर रहे है... वैसे सारे प्रतिबंध हटना कारण तो बडा ही होगा....।
जिन्हें यह नहीं पता है कि रेल्वे अण्डर ब्रीज के यहां नाला तुझे बनाना है मुझे वो लंबे समय से टीके हुए है और जिन्होंने जनता के काम किए जो सहीं था वह किया, चोरी, लूट की घटनाओं का जल्द से जल्द पर्दाफाश किया, जनता की पहले सुनी लेकिन नेताओं की एक नहीं मानी उन्हें पांच महिने में ही जाना पड़ा। वैसे तो पुलिस कप्तान मन बनाकर ही अऐ थे कि कभी भी जाना पड़ सकता है पद विदाई इतनी जल्दी और इस तरह होगी यह नहीं सोचा होगा! प्रशासन के मुखिया और पुलिस के कप्तान दोनो की अच्छी जुगलबंदी बन गई थी । काम भी अच्छा ही चल रहा था पर जब राजनीतिक गुर्गो पर कार्यवाहीं का असर होेने लगा तब उन्होंने अपने आकाओं की नाक में दम कर दिया और आखिरकार सकारात्मक परिणाम उनके पक्ष में आ ही गया। वैसे भाजपा के शासन काल में सिंगल ट्रांसफर हो जाना यहां के लिए तो बड़ी बात है क्योंकि कई मामलों में भोपाल सूनता ही नहीं हैं.....
दोनो दल मैदान में
पंचायती राज और नगरीय निकाय चुनावों को टलते-टलते लंबा समय हो गया, निर्वाचन हो भी नहीं पाया और अगले वर्ष विधानसभा चुनाव सर पर है। दोनों ही प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस ने अपने-अपने स्तर पर तैयारियां तेज कर दी है, भाजपा ने बूथ स्तर पर सम्पर्क अभियान प्रारम्भ किया तो कांग्रेस ने उसमे जवाब में घर चलों, घर-घर चलों अभियान प्रारम्भ कर दिया । भाजपा कार्यकर्ताओं पर पकड़ करके बूथ को मजबूत कर रहीं है तो कांग्रेस घर-घर जाकर सिधे केन्द्र, राज्य और स्थानीय मुद्दों पर भाजपा सरकारों को घेर रहीं है। कांग्रेस के नेता सिर्फ शहर ही नहीं गांव-गांव में सक्रियता दिखा रहे हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं की घेराबंदी मजबूत कर रहीं है तो कांग्रेस सिधे-सिधे मतदाताओं को पकड़ रहीं है।
शिव सहस़्शिवलिंग और साहब
शिव में प्रगाढ़ आस्था रखने वाले साहब ने जब श्री पशुपतिनाथ मंदिर में पूता पद्धत्ति के नाम पर मनमानी और प्रतिमा की स्थिति देखी तो उनका मन विचलित हो गया और उन्होंने प्रतिमा की सुरक्षा के लिए जनमानस के मन को जाना। धर्मगुरू राजनीतिज्ञ, आम प्रबुद्धजन को साथ लिया और वह ऐतिहासिक निर्णय कर डाला, जिससे गर्भगृह की पवित्रता और प्रतिमा की सुरक्षा दोनो ही काम सफल हो गऐ। एक और बड़ा काम उन्हें सहस्त्र शिवलिंग मंदिर के निर्माण व स्थापना का करना था पर उन्हें यहां से स्थानांतरित होकर जाना पड़ा, ऐसे में वर्तमान में जब उनके मित्र यहां पदस्थ हो तो उनके अधुरे छोड़े गऐ काम को पुरा करने के लिए कहा ऐसे में जिलाधीश ने पूरी रूची से काम किया जो काम धीमा चल रहा था यह अब पूर्णता की और है, शिव साधक के सहस्त्रलिंग मंदिर स्थापना का सपना मित्र साहब ने पूरा कर दिया।
शहर की तो बुझी नहीं.....
एक शहर अभी भी प्यासा है और अब योजना 1700 से अधिक गांवों में चम्बल का पानी पहुंचाने की बात बन रहीं है। चंबल का पानी मंदसौर लाने की योजना सफल है या असफल, पास है या फेल उसके परिणाम अभी तक घोषित हुए नहीं और यह एक और नई योजना आ गई। इस योजना का भी समय तो तय है पर वह भी अन्य योजनाओं की तरह कछुआ चाल ही चलेगी। सारे जवाबदार ठेकेदारों पर इतने मेहरबान क्यों होते है। खैर यह तो अलग बात है पर चंबल का पानी मंदसौर में अभी भी पुरे प्रेशर के साथ नहीं आ रहा है, उसकी पूरी टेस्टिंग नहीं हो रहीं है। जो सपना पानी की उपलब्धता का दिखाया गया वह पानी में बह गया। करोड़ों रूपये पानी में ही बह गऐ और फिर करोड़ों की नई पानी वाली योजना आ गई।
फिर छुट गई छोटी पुलिया
बुजूर्ग हो चूकी शिवना पुलिया का एक बार फिर मेकअप करके रूप निखार दिया गया पर यह टिकाऊ है या काम चलाऊ । इसका परिक्षण तो बारीश में ही होगा। शिवना पुल उम्र पूरी कर चूकी है। समीप बन रहा नया पूल कछुआ चाल से बन रहा है और छोटी पुलिया की कोई सूध नहीं ले रहा है। लगे हाथों बड़ी पुलिया के मेकअप के साथ-साथ छोटी पुलिया पर भी डामरीकरण हो जाना चाहिए था क्योंकि बूरे वक्त में यह पुलिया ही काम आती है। शिवना पूल पर भी लगातार डामरीकरण में परत-दर-परत वजन बढ़ता ही जा रहा है। इसमें तो सारा पुराना माल निकाल कर नए सिरे से पूरा डामरीकरण करना था पूल का लोड़ भी कम हो जाता। अभी जो पूल पर सफर का आनंद है काश वह भूनियाखेडी तक मिल जावे तो जनता का तो कल्याण हो जावें।
जनहितेशी हो तो अमन हो
बात अच्छी और जन हितेषी हो तो वह अनुकरणीय बन जाती है और उस पर अमल हो ऐसे प्रयास होते है। बस यूं ही के एक अंक में गांधी चौराहा जिला चिकित्सालय के सामने होने वाले शौर भरे आयोजनों की परेशानियों का जिक्र किया तो विधायकजी ने उसे संज्ञान म ले महाराणा प्रताप बस स्टेण्ड कास्थान सूझाया। एक अंम में मरीजों को कम कीमत पर पैथालॉजी जांच की सुविधाएं किसी चेरिटी या ट्रस्ट के माध्यम से मिले तो उन्हें काफी आर्थिक राहत मिले । इस पर सिंधी समाज की नई कार्यकारिणी ने अपनी शपथ विधी समारोह में इसके संचालन की घोषणा की, उन्होंने पैथालॉजी जांचों की चेरिटेबल यूनिट के साथ ही सस्ती दवाओं की दूकान खोलने की भी बात कहीं, अच्छों का अच्छा प्रयास अच्छाई के लिए...।
एनकाउण्टर
टपने वालों के चक्कर में साहर का विदाई समारोह हो गया, पांच माही कार्यकाल में कई बड़े मामलें हो गऐ। समय के साथ-साथ मैनेजमेंट हो जाता तो शायद जल्दी नहीं जाना पड़ता पर असूल वाले इन सबकी परवाह कहॉ करते है।
पोस्टमार्टम
मंदसौर वालों की कम्यूनिटी अच्छी है या आंकड़ों की जादूगरी, स्वास्थ्य विभाग ही जाने पर जो भी हो इस बार कोरोना हवा हवाई ही रहा । अब तो सारे प्रतिबंध भी हटा गए। अगर बाहर की लेब में जांच नहीं होती तो शायद अंकों में इतनी बढोतरी भी नहीं होती।
चलते-चलते
अचानक सारे प्रतिबंध हटने से वे परेशान हो गऐ जिन्होंने गाईडलाईन के दायरे में आयोजन किए थे, अब डिजिटल पत्रिका भेज फोन लगाकर आमंत्रित कर रहे है... वैसे सारे प्रतिबंध हटना कारण तो बडा ही होगा....।