Sunday, May 5th, 2024 Login Here
क्या आपने कभी ऐसी परिस्थितियों का सामना किया है जब आप यह कहने पर मजबूर हुए हैं कि- काश मैंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी होती, मेरे अंदर की फीलिंग कहती है कि यह सही नहीं है या मुझे अंदर से महसूसता आ रही है कि यह रिश्ता अद्भुत होगा। क्या आप अनुभव करते हैं कि आपके मन की आवाज़ या इंट्यूशन आपको समय-समय पर संकेत देती है? हम सभी हर दिन हजारों निर्णय लेते हैं, और कभी-कभी हम यह अंतर नहीं कर पाते कि क्या सही है या क्या गलत, और क्या सच है या क्या झूठ। लेकिन हमारी इंट्यूशन या हमारे विवेक के पास वे सभी जवाब हैं जिनकी हमें आवश्यकता है। हमें बस इन्हें सुनने की जरूरत है। लेकिन क्या होता है कि अक्सर हम समाज द्वारा बनाई गई मान्यताओं, लोगों की राय या फिर एक्वायर्ड जानकारी के आधार पर जीवन के सीन को परखते हैं। हमारी सहज बुद्धि, जिसे हम आंतरिक आवाज या इंट्यूशन कहते हैं, जो हमेशा सही होती है कि हमारे लिए क्या सही है। साथ ही यह हमें लगातार सही डायरेक्शन दिखाती है, हमें बस इसे सुनने की कला सीखनी है। तो इसके लिए रोजाना कुछ मिनट स्वयं के साथ बिताएं। "मेडीटेशन और आध्यात्मिक ज्ञान" हमारे मन के शोर को शांत करते हैं और हमारी इंट्यूशन को ऐक्टिव करते हैं। हमारे अंतर्मन में सभी उत्तर हैं; बस किसी भी सिचुएशन में हमें अपनी हर "चॉइस और डिसीजन" के लिए उसका उपयोग करना होगा। स्वयं को याद दिलाएं मैं अंतर्ज्ञानी (इंट्यूटिव) हूं। जब भी मुझे कोई निर्णय लेना होता है, तो मैं अपने अंतर्ज्ञान के आगे आत्मसमर्पण कर देता हूं और यह हमेशा ही मुझे सही जवाब देता है।
हमारा अंतर्ज्ञान हर स्थिति में हमें प्रोटेक्ट करेगा। जब हम अपने अंतर्ज्ञान को सुनना सीख लेंगे, तो अपने दिमाग को शांत करने की कला में भी
महारत हासिल कर लेंगे, जिससे अपने विचारों को बेहतर ढंग से नियंत्रित कर सकेंगे। इसके लिए भी स्वयं को याद दिलाएं मुझे अपने अंतर्ज्ञान पर भरोसा है। मैं इसके रिस्पॉन्स को सुनता हूं, जो मेरे और उस सिचुएशन में शामिल सभी लोगों के लिए सही है।