Thursday, May 9th, 2024 Login Here
भानपुरा निप्र।
जिले में स्थित गांधीसागर बांध का प्रशासन ने दो साल पहले सर्वे करवाया। रिपोर्ट में गांधीसागर बांध तो पूरी तरह सुरक्षित आया, लेकिन सर्वे में सामने आया है कि बांध क्षेत्र में रिक्त पड़ी सरकारी जमीन पर बड़े पैमानें पर अतिक्रमण फैल चुका है जो दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। सिंचाई विभाग से लेकर वन विभाग की जमीन इस क्षेत्र में है ओर दोनों विभागों की जमीन पर ही अतिक्रमण सामने आया। प्रशासन द्वारा कराए गए सर्वे में विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई। रिपोर्ट शासन को भी भेजी गई। हालांकि इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया। शासन या प्रशासन स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
इसलिए किया था सर्वे
गांधीसागर बांध को खतरे के अंदेशे के बाद प्रशासन ने इसका सर्वे कराना शुरु किया था। इसमें गांधीसागर बांध तो पूर्ण रुप से सुरक्षित होना सामने आया है। इससे प्रशासन व शासन ने राहत की सांस ली लेकिन चुनौतीपूर्ण यह रहा कि यहां अतिक्रमण की रफ्तार पर ब्रेक नहीं लग रहा है। लगातार अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है। गांधीसागर बांध के बैक वॉटर क्षेत्र में खुली पड़ी जमीन पर अतिक्रमण निकला तो वन विभाग की जमीनों पर भी अतिक्रमण सामने आया ै। अतिक्रमणकर्ताओं की संख्या भी अत्यधिक निकली। यहां कई लोग आवासीय रुप में रह रहे है लेकिन विभागों के नाम जमीन पर आवासीय पट्टे भी नहीं मिल सकते और प्रशासन इन्हें यू हटा भी नहीं सकता है जब तक अन्य जगहों पर इनके रहने की व्यवस्था नहीं होती। ऐसे में पूरा मामला शासन के संज्ञान में लाया गया।
कई मायनों में अहम है गांधीसागर बांध
एशिया की पहली मानव निर्मित गांधीसागर झील कई मायनों में अहम है। यहां से सिंचाई की कई बड़ी योजनाओं से किसानों के खेतों तक पानी पहुंच रहा है। अब गांधीसागर के पानी से रतलाम, मंदसौर व नीमच जिले के गांवों में घरों तक पेयजल पहुंचाने पर काम चल रहा है। सिंचाई विभाग के लिए गांधीसागर जितना अहम है उतना ही वन विभाग के नजरीए से भी अहम है। गांधीसागर अभयारण्य भी अब विकसित हो रहा है। यहां चीतो को लाने की तैयारी है तो कई पशु-पक्षियों से लेकर दुर्लभ जीव-जतुंओं ने गांधीसागर को अपना बसेरा बनाया है तो गांधीसागर में विद्युत उत्पादन भी हो रहा है। इसके अलावा भी कई मायनों में यह अहम है। ऐसे में इस गंभीर मुद्दें पर कई दिनों तक चले सर्वे के बाद रिपोर्ट तैयार हुई। इसमें सबसे बड़ी समस्या ही बढ़ता अतिक्रमण आया था।
जिले में स्थित गांधीसागर बांध का प्रशासन ने दो साल पहले सर्वे करवाया। रिपोर्ट में गांधीसागर बांध तो पूरी तरह सुरक्षित आया, लेकिन सर्वे में सामने आया है कि बांध क्षेत्र में रिक्त पड़ी सरकारी जमीन पर बड़े पैमानें पर अतिक्रमण फैल चुका है जो दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। सिंचाई विभाग से लेकर वन विभाग की जमीन इस क्षेत्र में है ओर दोनों विभागों की जमीन पर ही अतिक्रमण सामने आया। प्रशासन द्वारा कराए गए सर्वे में विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई। रिपोर्ट शासन को भी भेजी गई। हालांकि इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया। शासन या प्रशासन स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
इसलिए किया था सर्वे
गांधीसागर बांध को खतरे के अंदेशे के बाद प्रशासन ने इसका सर्वे कराना शुरु किया था। इसमें गांधीसागर बांध तो पूर्ण रुप से सुरक्षित होना सामने आया है। इससे प्रशासन व शासन ने राहत की सांस ली लेकिन चुनौतीपूर्ण यह रहा कि यहां अतिक्रमण की रफ्तार पर ब्रेक नहीं लग रहा है। लगातार अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है। गांधीसागर बांध के बैक वॉटर क्षेत्र में खुली पड़ी जमीन पर अतिक्रमण निकला तो वन विभाग की जमीनों पर भी अतिक्रमण सामने आया ै। अतिक्रमणकर्ताओं की संख्या भी अत्यधिक निकली। यहां कई लोग आवासीय रुप में रह रहे है लेकिन विभागों के नाम जमीन पर आवासीय पट्टे भी नहीं मिल सकते और प्रशासन इन्हें यू हटा भी नहीं सकता है जब तक अन्य जगहों पर इनके रहने की व्यवस्था नहीं होती। ऐसे में पूरा मामला शासन के संज्ञान में लाया गया।
कई मायनों में अहम है गांधीसागर बांध
एशिया की पहली मानव निर्मित गांधीसागर झील कई मायनों में अहम है। यहां से सिंचाई की कई बड़ी योजनाओं से किसानों के खेतों तक पानी पहुंच रहा है। अब गांधीसागर के पानी से रतलाम, मंदसौर व नीमच जिले के गांवों में घरों तक पेयजल पहुंचाने पर काम चल रहा है। सिंचाई विभाग के लिए गांधीसागर जितना अहम है उतना ही वन विभाग के नजरीए से भी अहम है। गांधीसागर अभयारण्य भी अब विकसित हो रहा है। यहां चीतो को लाने की तैयारी है तो कई पशु-पक्षियों से लेकर दुर्लभ जीव-जतुंओं ने गांधीसागर को अपना बसेरा बनाया है तो गांधीसागर में विद्युत उत्पादन भी हो रहा है। इसके अलावा भी कई मायनों में यह अहम है। ऐसे में इस गंभीर मुद्दें पर कई दिनों तक चले सर्वे के बाद रिपोर्ट तैयार हुई। इसमें सबसे बड़ी समस्या ही बढ़ता अतिक्रमण आया था।