Saturday, April 27th, 2024 Login Here
विश्वविख्यात पोल वाल्टर सर्गेई बुबका ने पोल वाल्ट में 35 बार विश्व रिकॉर्ड तोड़े। बुबका के विश्व रिकॉर्ड को 14 बार तोड़ा गया और आश्चर्यजनक रूप से उन्हें तोड़ने वाला और कोई नहीं बल्कि वे स्वयं ही थे। 1994 में सर्गेई ने आउटडोर पोल वाल्ट में 6.14 मीटर की ऊंचाई की छलांग लगाकार विश्व रिकॉर्ड बनाया था जिसे आज तक कोई खिलाड़ी नहीं तोड़ पाया है। महान एथलीट सर्गेई बुबका का जीवन दूसरों से ही नहीं अपितु स्वयं से भी निरंतर प्रतिस्पर्धा करने की प्रेरणा देता है। सफलता या असफलता में अंतिम उत्तरदायित्व स्वयं का ही होता है। यदि कोई व्यक्ति असफल होने के लिए तैयार नहीं है तो कोई उसे असफल नहीं बना सकता। जब तक हम अपने जीवन के उतार चढ़ाव के लिए दूसरों को जिम्मेदार मानते है तब तक वास्तविक प्रगति नहीं कर पाते है परंतु जब भीतर से पूर्ण उत्तरदायित्व का भाव प्रगट होता है तो जीवन की दिशा ही बदल जाती है। वास्तिवकता तो ये है कि यदि हमारे मार्ग में सौ कठिनाइयां हैं तो उनमें से निन्यानवें का संबंध स्वयं से ही है, सिर्फ इक्का-दुक्का कारण ही विशुध्द रूप से बाहरी होते है।
एक कहावत है कि संसार को जीतने के लिए अपने आप को जीतना बहुत जरूरी है। अपने मन और उसके अंतरद्वंदों पर विजय प्राप्त किये बिना संसार को जीत पाना या उसके पार जाना संभव नहीं है। इस संसार में प्रतियोगिता दिखती बाहरी है पर वास्तव में प्रत्येक मनुष्य को हर क्षण अपने आप से ही संघर्ष करना होता है। सफलता के लिए क्या-क्या चीजें आवश्यक है और उनमें भी सबसे ज्यादा क्या जरूरी है एयदि सफल और असफल लोगों का इन पैमानों पर निरीक्षण किया जाए तो पाया जाएगा कि सफल और महान लोग भी प्रारंभ में अनेक अभावों जैसे कि निर्धनता या मार्गदर्शन की कमी आदि से ग्रस्त थेएपरंतु उन्होंने अपने संकल्प और जिद के बल पर अपने लक्ष्यों को प्राप्त किया और सफलता की उड़ान भरी। यदि कोई अपनी कमियों और अक्षमताओं को नहीं जीत सकता है उसके लिए अपने जीवन के बड़े सपनों को पूरा करना असंभव ही होता है। यदि हमारे मार्ग में कोई वास्तविक बाधाएँ है तो वे है हमारे मन के सीमित विचार, अल्प दृष्टिकोण व मन के द्वारा खड़ी की गई सीमाएं। यदि हम अपने मन के भीतर खड़ी इन सीमाओं को, इन दीवारों को तोड़ सकते हैं तो वास्तविक संसार में हम कुछ भी कर सकते हैं । सफलता की कहानी संसार में बाद में लिखी जाती है उससे पहले अपने मन में उकेरनी पड़ती है। एक सफल जीवन को साकार करने के लिए पहले उसकी स्क्रिप्ट अपने अंतर्मन में लिखनी पड़ती है, जो व्यक्ति अपने ही सर्वश्रेष्ठ प्रयासों से भी श्रेष्ठ करने के लिए लालायित होता है वो ही इस स्क्रिप्ट को संसार के पर्दे पर असल जिंदगी में उतार पाता है। निश्चित रूप से इसमें अथक परिश्रम और समर्पण की जरूरत होती है पर सबसे बड़ी आवश्यकता होती है अपने आप को चुनौती देना । यदि कोई अपनी असफलताओं का अध्ययन करे या अपने पिछले जीवन में झांककर देखे तो पायेगा कि ज्यादातर जहाँ.जहाँ वह नाकामयाब हुआ वहाँ-वहाँ वह सफल भी हो सकता था और असफल होने का कारण स्वयं में ही जिद या समर्पण की कमी था। जब भीतर से श्रेष्ठता और प्रतिस्पर्धा का भाव क्षीण हो जाता है तो अनेक बाहरी कारण भी हावी होने लगते हैं और व्यक्ति को हार की ओर धकेल देते है। इसलिए आवश्यक है कि हर क्षण अपनी ही क्षमताओं के परे जाने के लिए अपने आप से प्रतिस्पर्धा की जाए। यदि आपको कोई हरा सकता है तो वे आप ही हैं आपके अतिरिक्त कोई और ये नहीं कर सकता।