Friday, April 26th, 2024 Login Here
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अब शहरवासियों को और करना पड़ेगा चंबल के अमृत के लिए इंतजार
मंदसौर जनसारंगी।
54 करोड़ रूपयों से तैयार होने वाली चंबल योजना का हश्र भी काला भाटा बांध योजना की तरह होने की आशंकाऐ उत्पन्न होने लगी है। क्योंकि देर सवेर चंबल योजना पूरी हो गई लेकिन इसमें रोजाना पाईप लाईन लीकेज मिलने से दहलीज पर पानी आने के बाद भी लोग प्यासे हैं। अभी तक एक बार भी मंदसौर शहर को चंबल का अमृत नहीं मिल पाया है। उधर  रही सही कसर ताऊ ते तूफान के असर ने पूरी कर ली। कुछ जगहों पर तूफान के कारण पाईप लाईन क्षतिग्रस्त हो गई। जिसके कारण फिलहाल अभी चंबल के पानी का इंतजार बढ़ गया है। इधर तूफान ने चंबल योजना की गुणवत्ता को भी उजागर कर दिया है। सिर्फ मंदसौर की हवाओं को छूकर निकल रहे तूफान के कारण ही चंबल योजना मेें उपयोग किए गए पाईप क्षतिग्रस्त हो गए। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मंदसौर जिले में कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो पाईप लाईन का क्या हश्र होगा?
चंबल योजना पहले ही छह साल देरी से  चल रही थी। कलेक्टर मनोज पुष्प के प्रशासक बनने के बाद योजना ने चाल पकड़ी और पानी मंदसौर पहुंच गया, लेकिन उसके बाद भी लोग अभी तक प्यासे हैं। इसका कारण है कि चंबल योजना में आए दिन कोई न कोई पाईप लाईन लीकेज मिल रहा है। जिसे सुधारने का काम जरुर अमला कर रहा है, लेकिन फिलहाल पाईप लाईन पर तेज हवाओं का खतरा मंडराने लगा है। ताऊ ते तूफान के मंदसौर से गुजरने के कारण कुछ जगहों पर पाईप लाईन क्षतिग्रस्त हो गई। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हवाओं के सिर्फ पाईप लाईन को छूने से ही पाईप लाईन क्षतिग्रस्त हो गई तो कोई अन्य प्राकृतिक आपदा को पाईप लाईन कैसे झेल पाएगी। सोमवार को आए आंधी तुफान से ग्राम कोलवी के यहां इंटकवेल से पुलिया पर होते हुए आ रही पाइप लाइन ढ़ह गई। पुलिस के ऊपर लगे पाइप आरसीसी सहित निचे गिर गए। जिससे सुधार के लिए पोकलेन पहुंचाई गई। हालांकि अभी इसको सुधारने का काम जारी है। इसके अलावा भी रात में आए तूफान और बारिश से अन्य जगहों पर भी पाईप लाईन को नुकसान की आशंका जताई जा रही है।
डूब से बचाने के लिए पुल बनाकर लाईन डाली, हवाओं ने ढहां दी
चंबल का पानी मंदसौर लाने के लिए प्रशासन ने ग्राम कोलवी में चंबल बेक वॉटर में इंटकवेल बनाया। इंटकवेल से लाइन को करीब 400 मीटर का पुल बना कर लाइन को उसके ऊपर से निकाला गया, जिससे बारिश में लाइन डुब ना जाए। लेकिन सोमवार सुबह तेज हवाओं के चलते पुलिया के ऊपर डली चंबल की लाइन ढ़ह गई। इसमें करीब चार पाइप आरसीसी सहित पुलिया से निचे गिर गए। इसी के साथ चंबल का पानी शिवना में आना भी बंद हो गया। ऐसे में अब इस बात की आंशका जताई जाने लगी है कि गुणवत्ता की कमी के चलते चंबल योजना का हश्र भी कालाभाटा बांध योजना की तरह ना हो जाऐ। क्योंकि इस बांध निर्माण के समय आने वाले तीस बरस की पेयजल आपूर्ति का दावा किया गया था जबकि हकीकत में तीन साल भी यह बांध मंदसौर शहर को जलापुर्ति नहीं कर पाया।

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