Friday, April 26th, 2024 Login Here
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मंदसौर जनसारंगी।
 करीब पांच महिने पहले होने वाले निकाय चुनाव कोरोना के कारण आगे बढ़ाऐ गये लेकिन कोरोना की दूसरी लहर थमने के बाद नगरीय प्रशासन मंत्री भुपेन्द्रसिंह द्वारा दिए गऐ बयान से एक बार फिर निकाय चुनाव की हलचल शुरू हो गई है। इसके बाद कोरोना संकट में गायब हुए दावेदार एक बार फिर से सक्रिय हो जाऐगे। मंत्री भुपेन्द्रसिंह ने कहा कि शिवराज सरकार ने महापौर, अध्यक्षों के पद का चुनाव सीधे जनता से कराने की बजाय पार्षदों से कराने का निर्णय लिया है। इस आशय का निर्णय पिछले विधानसभा सत्र के दौरान ही शासन द्वारा लिया जा चुका है।
अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव होंगे। हालांकि पार्षद जनता के बीच से चुना जाएगा। उल्लेखनीय है कि पिछले डेढ़ साल से एमपी में नगरीय निकाय चुनाव अटके हैं। मंदसौर नगर पालिका का कार्यकाल भी जनवरी में खत्म हो चूका है इससे पहले जिले की कई नगर परिषदों का कार्यकाल करीब एक साल पहले ही खत्म हो चूका है सभी जगह अभी प्रशासक काबिज है। हालांकि अभी कोरोना पूरी तरह से काबू नहीं हुआ है। तीसरी लहर की संभावना जताई जा रहीं है ऐसे में अभी निकाय चुनाव की संभावना कम है। मंत्री ने भी साफ कहा है कि कोरोना नियंत्रण पहले है। उसके बाद निर्वाचन प्रक्रिया शुरू होगी। भाजपा सरकार ने किसी भी निकाय में आवादी के अनुपात के हिसाब से पद आरक्षित किए थे। अभी तक सरकार ने यह तय नहीं किया है कि हाइकोर्ट का निर्णय ही स्वीकार किया जाएगा या उस निर्णय के खिलाफ अपील करेंगे। इस संबंध में राज्य सरकार शीघ्र ही फैसला करेगी।
 लेकिन मंत्री भुपेन्द्रसिंह के बयान से दावेदारों में अब नऐ सिरे से हलचल शुरू होने की उम्मीद बढ़ गई है। क्योंकि इससे पहले प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव होना था जिसमें पार्षद और अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता को करना था क्योंकि इससे पहले कमलनाथ सरकार ने अप्रत्यक्ष प्रणाली से ही चुनाव कराऐ जाने का ऐलान किया था लेकिन प्रदेश में फिर से भाजपा सरकार काबिज होने के बाद निर्णय को बदल कर प्रत्यक्ष प्रणाली से ही चुनाव कराऐ जाने का निर्णय लिया गया इसके लिए आरक्षण भी करा लिया गया था इसी अनुसार दावेदार सक्रिय हो गऐ थे । अब एक बार फिर प्रदेश सरकार ने अप्रत्यक्ष प्रणाली से ही चुनाव कराऐ जाने का निर्णय लिया है ऐसे में अब अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता नहीं बल्कि पार्षद करेंगें ऐेसे में वार्ड पार्षद के चुनाव नऐ उम्मीदवार सक्रिय हो जाऐगें । अब ऐसे उम्मीदवार भी पार्षद चुनाव के मैदान में कूद पड़ेगें जिन्हें  अध्यक्ष बनने की तमन्ना है। ऐसे में माना जा रहा है कि कई दिग्गज अब पार्षद पद के लिए दावेदारी करेंगें ।
हालांकि पिछली बार चुनाव की सुगबुगाहट के साथ उम्मीदवार सक्रिय हुए थे लेकिन कोरोना के प्रकोप में कई उम्मीदवार जनता की सेवा के बजाय गायब हो गऐ थे लेकिन अब उम्मीद की जा रहीं है कि कोरोना के थमने के बाद उम्मीदवारों की सक्रियता फिर से बढ जाऐगी।
उच्च न्यायालय के फैसलें को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देगी सरकार
उधर मंत्री भुपेन्द्रसिंह ने कहा कि सरकार की पहली प्राथमिकता कोरोना की तीसरी लहर से निपटना है और इसके बाद ही निकाय चुनाव के बारे में फैसला लेंगे। यहां बता दें इसी साल मार्च के महीने में हाइकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने महापौर और अध्यक्षों के आरक्षण पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद अब शिवराज सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। इसके लिए शिवराज सरकार जल्दी विशेष अनुमति याचिका दायर करेगी। 14 मार्च 2021 को सागर में पत्रकारों से चर्चा में नगरीय प्रशासन और आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बताया था कि इसके लिए प्रशासनिक स्वीकृति दी है। अब हाईकोर्ट की ग्वालियर पीठ के फैसले को शिवराज सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। विशेष अनुमति याचिका दायर करेगी। उल्लेखनीय है कि कमलनाथ सरकार ने जनता की बजाय पार्षद के जरिए चुनाव कराना तय किया था।


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