Monday, May 6th, 2024 Login Here
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मंदसौर । चैत्र शुक्ल तृतीया को मनाया जाने वाला गणगौर का पर्व सोमवार को धुमधाम से मनाया गया । महिलाएें दुल्हा-दुल्हन बनी गणगौर की पुजा की गई । स्थानीय दशपुर कुंज में महिलाओं का मेला लगा रहा अखण्ड सुहाग और इच्छित वर की कामना को लेकर महिलाएें गणगौर का वृत करती है ।
गणगौर पुजन के लिए रविवार को महिलाओं ने विशेष तैयारियां की थी, घरो में बेसन, आटा और मेदे से नमकीन व मीठे गहने बनाए थे सोमवार की सुबह से ही गणगौर माता का पुजन शुरू हो गया था, सज-धज कर महिलाओं ने पुजन स्थल पर माता पार्वती की मिट्टी प्रतिमा को रंगो से सजाया और पुजा अर्चना की, शहर के कई स्थानो पर पारम्परिक रूप से गणगौर माता का पुजर किया गया, शाम को स्थानीय दशपुर कुंज में महिलाओं का मेला लग गया, ढोल-ढमाकों की थाप पर सज-धज कर महिलाएें नृत्य कर रही थी
क्यों मनाया जाता है गणगौर का पर्व
गणगौर का पर्व शिव-पार्वती की पुजा कर पारम्परिक रूप से मनाया जाता है, चैत्र शुक्ल तृतीया को मनाएें जाने वाले इस पर्व के बारे में शिव महापुराण में बताया गया है कि माँ पार्वती ने शिवजी को अपने पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी जब शिवजी ने पार्वती को दर्शन देकर उन्हें अपनी पत्नि के रूप में स्वीकार किया था । गण शिवजी के लिए गौर शब्द माता पार्वती के लिए कहा जाता है तभी से गणगौर का पर्व मनाए जाने की शुरूआत हुई । महिलाओ में यह पर्व खासा लोकप्रिय है नवविवाहित दुल्हन शादी के बाद अपनी पहली गणगौर अपने पीहर आकर मनाती है माँ गणगौर और इशर जी का पुजन स्त्रीयों के लिए पति प्रेम और सौभाग्य बढ़ाने वाला माना जाता है धुप और पानी के छीटे देते -देते महिलाएें गौर-गौर गौमती गीत समूह में गाती है ।

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