Saturday, April 27th, 2024 Login Here
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शिक्षा: विज्ञान, कम्प्यूटर, योग, अंग्रेजी पढ़ाने की कवायद नाकामयाब
मंदसौर जनसारंगी ।
भोपाल में शैक्षणिक स्तर सुधार के लिए देखे जा रहे सपने जिले में साकार नहीं हो पा रहे । भोपाल में कागजों पर बिना किसी रणनीति के योजनाएं तैयार कर आदेश के रूप में पहुंचाई जा रही हैं । कभी स्थानीय स्तर पर तो कभी शासन स्तर पर ही योजनाएं पूरी नहीं हो पा रही । विज्ञान, कम्प्यूटर, योग और अंगे्रजी सीखाने की योजनाएं धरातल पर उतरे से पहले ही दम तोड गई । अब बच्चों की हिंदी सुधारने के लिए कवायद शुरू की गई हैं ।
सरकार बच्चों को शैक्षणिक स्तर को सुधारने के लिए करोडो रूपए खर्च कर रही हैं । पाठयक्रम में मौजूद हर विषय को लेकर स्तर सुधारने की कोशिश की जा रही हैं । सात साल में कम्प्यूटर, योग, गणित, विज्ञान और अंगे्रजी में बच्चों को पारंगत करने के प्रयास किए गए । जब यह पुरे नहीं हो पाए तो अब हिंदी सुधार की योजना तैयार की गई हैं । अब कक्षा पहली और दूसरी में कहानी सुनाकर बच्चों को हिंदी सुधारने के लिए आदेश जारी किए गए हैं । कथा की शुरूआत कहानी के साथ होगी ।
कम्प्यूटर- सरकारी स्कूलों में वर्ष २००९ से बच्चों को कम्प्यूटर सिखाने के लिए प्रयास शुरू किए गए । चयनित मावि में कम्प्यूटर कक्ष बनाकर कम्प्यूटर सामग्री रखी गई । लंबे समय तक नूतन मावि और बालागंज मावि सहित कई स्कूलों में सामग्री ताले में बंद रही तो कहीं कम्प्यूटर सरकारी काम में उपयोग में ले लिए गए । २०१४ में स्मार्ट क्लास के नाम से योजना तैयार कर लैपटॉप , एलसीडी, पेन ड्राइव, सीडी सहित उपकरण पहुंचाए गए । भोपाल से निर्देशों का इंतजार अधूरा ही रहा गया।
योग - वर्ष २०१५ में बच्चों को योग सिखाने के लिए प्रयास शुरू हुए । शिक्षकों को चार चरणों में दस दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया । साथ ही योग का पीरियड लगाने के निर्देश भी दिए गए । लेकिन बच्चों को योग की शिखा नहीं मिल पाई । मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने विस में ध्यान आकर्षण सूचना में सत्र से योग और ध्यान का पीरियड पाठयक्रम में शामिल करने की घोषणा भी की थी । हालांकि ऐसा नहीं हो पाया।
अंगे्जी - वर्ष २०१५ में दस स्कूलों में अंगे्रजी माध्यम में पढाई शुरू की गई । छह माह अंगे्रजी में पढाने के बाद आठ स्कूलों में परीक्षा हिंदी में ली गई   मल्हारगढ मावि और नूतन स्कूल परिसर में लगने वाला शिशु मंदिर में जुलाई माह में अंगे्रजी में पढाई हुई । लेकिन वह भी बंद हो गई । दोनों सत्र में शासन द्वारा सभी स्कूलों में १०० सेट किताबों के पहुंचाए थे । फिर दूसरे साल भी साल दस नए स्कूल शुरू करने की भी योजना थी । लेकिन धरातल पर नहीं उतरी।
गणित-विज्ञान - बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए चलाई जा रही इंंस्पायर अवार्ड योजना में चार सालों में २६८ बच्चों ने १३.३४ लाख रूपए लेने के बाद भी मॉडल नहीं तैयार किए । इसी तरह से वर्ष २०१५ में दस हाईस्कूलों में गणित के सूत्रों को आसानी से समझने के लिए मैथ्स किट पहुंचाई गई । दिल्ली से शिक्षक को प्रशिक्षण दिया गया । छह माह शिक्षा विभाग में रखी रहने के बाद स्कूलों में किट पहुंची जरूर, लेकिन योजना सफल नहीं हुई।

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