Saturday, April 27th, 2024 Login Here
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चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे है मंदसौर-नीमच के अस्पताल, कलेक्टर के नोटिस दिए डाक्टर भी नहीं आऐ
मंदसौर जनसारंगी।
 राज्य सरकार में मंदसौर से 2 कैबिनेट मंत्री जगदीश देवड़ा और हरदीपसिंह डंग हैं, वहीं नीमच जिले से ओमप्रकाश सकलेचा कैबिनेट मंत्रालय संभाल रहे। शासन ने हाल ही में 79 डॉक्टरों की पोस्टिंग आर्डर जारी किए हैं, लेकिन ये तीनों कैबिनेट मंत्री मिलकर एक डॉक्टर भी अपने जिले में नहीं ला पाए, इसके ठीक उलट नीमच से 2 डॉक्टर और मंदसौर से 1 डॉक्टर की अन्य जिलों में पोस्टिंग जरूर हो गई। उल्लेखनीय है कि कोविड संक्रमण में बुरे हालात देखने वाले दोनों ही जिलों में चिकित्सकों की काफी जरुरत है, बावजूद मंत्रियों के गृह जिलों में ऐसे हालात बने हुए हैं। यहीं नहीं पिछले दिनों मंदसौर कलेक्टर ने भी लंबे समय से नहीं आने वाले डाक्टरों को नोटिस दिए लेकिन इसमें से भी एक ने ज्वाईन नहीं किया क्योंकि बिना जानकारी के आधार पर स्वास्थ्य विभाग ने नोटिस जारी करा दिए क्योंकि अधिकांश डाक्टर नियमानुसार अपने एक माह का वेतन कटवाकर नौकरी छोड़ चूके है और कुछ पीजी के अध्ययन के दौरान अन्यंत्र अपनी सेवाएं दे रहे है।
शासन के संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं विभाग ने 79 चिकित्सकों की सूची इसी हफ्ते जारी की। अपर संचालक (विज्ञप्ति) सपना एम. लोवंशी ने आदेश जारी किया कि सूची में संबंधित चिकित्सक तत्काल प्रभाव से जिलों के लिए कार्यमुक्त हो जाएं। दरअसल प्रदेश के सरकारी व निजी कॉलेजों से स्नातकोत्तर पूर्ण करने के बाद डॉक्टर द्वारा किए गए डिग्री, डिप्लोमा की उपयोगिता को देखते हुए उन्हें जिलों में जिम्मेदारी दी गई लेकिन मंदसौर-नीमच में 1 भी डॉक्टर नहीं मिला। सूची पर गौर करें तो नीमच में पदस्थ रहे कमलकिशोर परमार का नाम है, जो कि पीएचसी रतनगढ़ में पदस्थ रहे हैं, अब वे एमएस सर्जरी हो गए हैं तो शासन ने उन्हें आगर जिला अस्पताल भेज डाला। इसी तरह नीमच से विनयकुमार गोलंदाज जो कि रामपुरा में एमएस सर्जरी थे, उनको अब विदिशा जिला अस्पताल भेजा गया। वहीं  मंदसौर जिले की पीएचसी खाडावाड में मनोजकुमार सोनी जो कि एमडी रेडियो डायग्नोसिस हुए हैं, उनको देवास जिला अस्पताल भेजा गया। इस प्रकार ये 3 डॉक्टर अन्य जिलों में पोस्टिंग पर चले गए लेकिन मंदसौर को एक भी डाक्टर नहीं मिल पाया है।
79 की सूची में 1 नाम था लेकिन उसने भी विदिशा ले लिया
इन सर्विस पीजी पोस्टिंग आर्डर में जिन 79 डॉक्टरों के नाम हैं, उसमें से एक डॉक्टर का नाम मंदसौर जिले की गरोठ तहसील के लिए भी था लेकिन डॉक्टर ने जिला अस्पताल विदिशा को चुना। दरअसल डॉक्टरों से पसंदीदा 5-5 जिलों के नाम मांगे जाते हैं, ऐसे में मंदसौर के बजाय डॉक्टर ने पीएचसी खंडवा चुना। इसी के चलते पहले से ही डाक्टरों की कमी से जूझ रहे मंदसौर-नीमच जिले के अस्पतालों में डाकअर नऐ तो नहीं मिले लेकिन तीन डाक्टरों के जाने से कमी जरूर हो गई।
एमडी रेडियोलॉजिस्ट तक नहीं मिला
मंदसौर जिला अस्पताल में गत दिनों सिटी स्केन मशीन आई, लेकिन मंत्रियों के गृह जिले में हालात इतने बदतर हैं कि एमडी रेडियोलॉजिस्ट तक नहीं मिला। अगर एमडी रेडियोलॉजिस्ट होते तो टेली रिपोर्टिंग की आवश्यकता नहीं पड़ती। इसी के चलते जांच बड़े अस्पताल में हो रहीं है लेकिन इसकी रिर्पोट टेली रिर्पोर्टिग के आधार पर ही हो रहीं है।

अधूरी जानकारी पर दिलवाया नोटिस डाक्टर नहीं मिले
पिछले दिनों मंदसौर जिला चिकित्सालय में लंबे समय से नहीं आने वाले चिकित्सकों को स्वास्थ्य विभाग ने कलेक्टर के माध्यम से नोटिस दिलवाया था लेकिन यह नोटिस विभाग ने अधूरी जानकारी के आधार पर दिलवा दिया क्योंकि इनमें से अधिकांश डाक्टर अपने एक महिने का वेतन कटवाकर शासकीय सेवा को छोड़ चूके है। नियमानुसार यदि एक महिने का वेतन कटवा लिया जाता है और वह सरकार के पास जमा हो जाता है तो चिकित्सक खुद को शासकीय सेवा से निवृत्त मान सकता है। यदि डाक्टर के वेतन कटवाते ही या तो सरकार इस राशि को जमा नहीं करें या फिर इस पर किसी तरह की आपत्ति ले तो ही डाक्टर को शासकीय सेवा में माना जा सकता है लेकिन मंदसौर जिले में जिन डाक्टरों ने वेतन कटवाकर नौकरी छोड़ी है उसमें से एक पर भी किसी ने आपत्ति नहीं ली और ना ही किसी अधिकारी या जनप्रतिनिधी ने इन डाक्टरों को नौकरी छोड़ने से रोकने की कोशिश की। कई डाक्टरों को तो नौकरी छोड़े दो साल से भी ज्यादा का समय हो गया है। इसके साथ ही कुछ चिकित्सक पीजी का अध्ययन कर रहे है ऐसे में वे जहां से भी पीजी कर रहे है वहां के अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे है । ऐसे में कलेक्टर के दिए नोटिस का किसी ने ना तो जवाब दिया है और ना ही वापस अस्पताल में ज्वाईन किया है।

Chania