Friday, April 26th, 2024 Login Here
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स्वच्छ होने के बजाय और जहरीला हो गया पानी, जलकुंभी ने जमा लिया कब्जा
मंदसौर जनसारंगी।

 करोड़ों रुपए शिवना शुद्धिकरण के लिए बिना किसी रणनीति के नगरपालिका खर्च कर चुकी है। स्थिति यह है कि पानी शुद्ध करना तो दूर की बात जलकुंभी तक नहीं हट पाई है। पिछले 17 सालों में दो करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर दिए। इसके बावजूद नदी का पानी शुद्ध होने के बजाय और अधिक जहरीला हो गया। दो साल पहले ही पीएचई की लैब में हुई जांच में पाया गया है था कि शिवना के पानी में हानिकारक बैक्टीरिया अधिक है। वर्तमान में शिवना का पानी नहाने योग्य भी नहीं है। 2 करोड़ रुपए बहाने के बाद दो साल पहले मुख्यमंत्री ने शिवना शुद्धकरण के लिए छह करोड़ देने की घोषणा की थी, लेकिन राशि नहीं मिल पाई।
शिवना को शुद्ध करने के लिए वर्ष 2002 से अब तक लागू हुई योजनाओं पर लगभग 2 करोड़ रुपए तक खर्च कर दिए गए। इसके बाद भी पानी में लगातार ऑक्सीजन की कमी होती गई। आज ऐसी स्थिति आ गई है कि भगवान पशुपतिनाथ के चरणों में नहाना तो ठीक आचमन लायक भी पानी नहीं बचा है। पैसे खर्च हो गए और कार्य भी नहीं होने पर जवाबदार इंजीनियरों से जवाब-तलब तक नहीं हुए। हालांकि लगभग तीन दशक पहले पशुपतिनाथ मंदिर के सामने वाले किनारे पर बनाया गया नाला जिसमें गंदा पानी सीधे छोटी पुलिया से आगे जाकर नदी में मिल रहा था। शिवना शुद्धिकरण के नाम पर कुछ समय पहले  उसे भी तोड़ दिया गया।
सीएम ने दिया था आश्वासन
20 जनवरी 2018 को दलौदा में किसान सम्मेलन में आए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान ने विधायक यशपालसिंह सिसौदिया की मांग पर शिवना शुद्धिकरण के लिए 6 करोड़ देने की घोषणा की है। लेकिन इसके बाद अभी तक राशि नहीं मिल पाई।
टैंकनुमा कुएं भी बनाए थे
नगर पालिका ने शिवना सीवर लाइन योजना में 40 लाख रुपए खर्च कर दो टैंकनुमा कुएं भी बनाए थे। इसी बीच नपा के इंजीनियरों ने योजना को गलत बताकर बंद कर दी। जबकि दो टैंक तो पाइप लाइन से जुड़े हुए थे, उनमें पानी छोटी पुलिया से आगे जा सकता था, पर पाइप लाइन भी घटिया निर्माण के कारण जवाब दे गई।
सात स्थानों का गंदा पानी सीधा मिल रहा शिवना में
शहर के 90 प्रश से अधिक घरों से निकल रहा गंदा पानी 7 स्थानों से शिवना नदी में सीधे तौर पर मिल रहा है। नदी का पानी दूषित होने की शिकायतों के बाद जिला पंचायत सीईओ पंकज जैन ने पीएचई को जांच के निर्देश दिए थे। पीएचई अधिकारियों ने 28 दिसंबर 2017 को नदी के पानी का सैम्पल लेकर जांच की। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की लैब में हुई जांच में शिवना के पानी में ठोस घुलनशील तत्व (टीडीएस) 2000 से अधिक पाए गए जबकि इनकी संख्या 500 होना चाहिए। नाइट्रेट 112 मिला जबकि पेयजल में यह शून्य होना चाहिए। पेयजल में गंदलापन 5 मेग्निशियन लिमिट है जबकि यह 9.9 है। शिवना नदी के पानी में बैक्टीरिया इतने अधिक हैं कि लैब में इनकी संख्या काउंट ही नहीं हो पाई, जबकि शुद्ध पानी में बैक्टीरिया अनुपस्थित होना चाहिए।
इन क्षेत्रों से मिल रहा है शिवना में गंदा पानी
शिवना नदी में प्रतापगढ़ पुलिया के नीचे बुगलिया खाल, खानपुरा के पीछे, नीलगर मोहल्ला, पशुपतिनाथ नवीन पुलिया, छोटी पुलिया कलेक्टोरेट मार्ग, मुक्तिधाम के समीप से आ रहे नालों से हजारों गैलन गंदा पानी रोज शिवना नदी में मिल रहा है।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने की थी जांच
पीएचई अधिकारियों ने 28 दिसंबर 2017 को नदी के पानी का सैम्पल लेकर जांच की। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की लैब में हुई जांच में शिवना के पानी में ठोस घुलनशील तत्व (टीडीएस) 2000 से अधिक पाए गए जबकि इनकी संख्या 500 होना चाहिए। नाइट्रेट 112 मिला जबकि पेयजल में यह शून्य होना चाहिए। पेयजल में गंदलापन 5 मेग्निशियन लिमिट है जबकि यह 9.9 है। शिवना नदी के पानी में बैक्टीरिया इतने अधिक हैं कि लैब में इनकी संख्या काउंट ही नहीं हो पाई, जबकि शुद्ध पानी में बैक्टीरिया अनुपस्थित होना चाहिए।

Chania