Saturday, April 27th, 2024 Login Here
मंदसौर जनसारंगी।
तेलिया तालाब को लेकर एनजीटी ने आदेश जारी किया है। हालांकि शुरु से ही तालाब और उसके पानी को लेकर जिम्मेदार गंभीर नहीं है। दो बार पहले भी एनजीटी आदेश कर चुकी है। लेकिन कोई पालन नहीं किया गया। हालांकि इस बार तो नपा को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि तालाब में मिलने वाले सारे गंदे नालों को रोककर सीवरेज प्लांट लगाया जाए। तालाब में 100 प्रतिशत उपचारित पानी ही छोड़ा जाए, पर इसको लेकर भी नपा छह साल से दोहरी नीति अपना रही है। शहर के लिए बने सीवरेज प्लान में तालाब में मिल रहे गंदे पानी को रोकने के लिए अभी तक कोई योजना नहीं है। इधर तालाब में 16 कॉलोनियों के साथ ही औद्योगिक क्षेत्र की तमाम फैक्टियों का गंदा पानी सीधे मिल रहा है।
तालाब में गंदे पानी मिलने को लेकर जब सीएम हेल्पलाइन पर इसकी शिकायत हुई थी तो भी नपा के जिम्मेदार जवाब दे रहे थे कि सीवरेज प्लान लागू होने पर ही तालाब में गंदगी मिलना रुक पाएगी। तेलिया तालाब में वर्षों से महू-नीमच राजमार्ग पर मंडी से आगे तक बनी लगभग 16 कॉलोनियों एवं फैक्टियों का गंदा पानी मिल रहा है। इसमें नपा की विकसित की हुई मेघदूत नगर, गृह निर्माण मंडल की गांधी नगर और कर्मचारी आवास निगम सहित यश नगर, केशव कुंज व अन्य निजी कॉलोनियां शामिल हैं। इन कॉलोनियों से निकल रहे गंदे पानी की समस्या है, जिसका निराकरण नहीं हुआ। छह साल पहले कॉलोनियों के गंदे नालों के पानी को जिपं के पास स्थित नाले में पहुंचाने के लिए 90 लाख रुपये का प्रोजेक्ट तैयार हुआ था। इसकी फाइल दिल्ली में एपको तक पहुंची थी, पर वर्तमान नगर पालिका ने इस पर ध्यान नहीं दिया। इस कारण तालाब सुंदरीकरण, पैदल पुल एवं अन्य कार्यों र्पर दो करोड़ खर्च करने के बाद भी तालाब का पानी शुध्द नहीं है।
नाले से जहर मिल रहा पानी में
मुल्तानपुरा तरफ से आ रहा नाला ही तेलिया तालाब में पानी की आवक का एकमात्र स्रोत है और इसी नाले में मेघदूत नगर, यश नगर, गांधी नगर, कर्मचारी कॉलोनी सहित 16 कॉलोनियों के साथ ही औद्योगिक क्षेत्र व बायपास की फैक्टी का रसायनयुक्त जहरीला पानी डाला जा रहा है, जो सीधे तालाब में पहुंच रहा है। इसी कारण तालाब का पानी प्रदूषित हो रहा है।
प्रोजेक्ट बनाया जरुर पर काम नही किया
सात वर्ष पहले जिला योजना समिति की बैठक में सदस्य बाबा पंचोली ने तालाब में मिलने वाले गंदे पानी की समस्या उठाई थी। इसके बाद जिला योजना समिति ने गंदे पानी को तालाब में मिलने से रोकने के लिए 90 लाख रुपये का एक प्रोजेक्ट तैयार कराया। इसमें नवनिर्मित ऑॅडिटोरियम के यहां से एक नाला शा. कन्या महाविद्यालय के पास से होते हुए जिपं के सामने स्थित नाले में डालने की योजना तैयार की गई थी। यह प्रोजेक्ट दिल्ली एपको को भी भेजा गया था। उसके बाद नपा चुनाव में नई परिषद आ गई और वर्तमान परिषद ने इस प्रोजेक्ट पर काम नहीं किया।
एनजीटी के पहले आदेश का पालन ही नहीं
तालाब के अस्तित्व पर मंडराते खतरे को देख नपा के पूर्व सभापति डॉ. दिनेश जोशी ने एनजीटी में तालाब की जमीन पर बढ़ते अतिक्रमण को लेकर याचिका दायर की थी, जिस पर 17 फरवरी 2016 को एक आदेश हुआ है। इसमें न्यायाधीश दिलीपसिंह ने तेलिया तालाब के 1974 के नक्शे के आधार पर अधिकतम जल भराव क्षेत्र से 90 मीटर तक किसी भी तरह के निर्माण पर प्रतिबंध लगाया था। इसके बावजूद नपा में अपने-अपने हिसाब से अनुमतियां दी जा रही हैं। शासन और जनप्रतिनिधियों में तालाब बचाने को लेकर कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है।